मंजूषा कला में बॉर्डर अति महत्वपूर्ण है | मंजूषा कला कृति में एक या उससे अधिक बॉर्डर का प्रयोग किया जाता है | मंजूषा कला में कुल 5 प्रकार के बॉर्डर होते है | ये इस प्रकार है :-
- बेलपत्र – ये बेल के पवित्र पत्ते का प्रतीक है एवं इसकी संरचना बेल के पत्ते जैसी ही होती है | हिन्दू धर्म में बेलपत्र का बहुत महत्त्व है भगवान शिव की पूजा अर्चना में इसका प्रयोग अनिवार्य रूप से होता है | बेलपत्र प्राकृतिक शुद्धता पवित्रता का परिचायक है |
- लहरिया – ये बॉर्डर नदी के लहरों को प्रदर्शित करता है | जैसे लहरें ऊपर नीचे होती है उसी तरह जिन्दगी के उतार चढ़ाव का ये लहरिया बॉर्डर प्रतीक है | ये जीवन के संघर्ष और उससे पार पाने की शक्ति का द्योतक है |
- मोखा – ये बॉर्डर अंग प्रदेश के घरों में प्रयोग होने वाले डिजाईन एवं सजावट को प्रदर्शित करता है |
- त्रिभुज – ये भगवान शिव का भी चिन्ह है | ऊपर के कोण जैसा त्रिभुज अध्यात्मिकता को प्रदर्शित करता है और नीचे के कोण जैसा त्रिभुज भौतिक उपस्थिति को प्रदर्शित करता है | त्रिभुज समय चक्र के तीन स्तम्भ भूत, वर्तमान और भविष्य को भी परिलक्षित करता है |
- सर्प की लड़ी – अनेकों साँपों से लिपटी कलाकृति इस बॉर्डर में एकता का प्रतीक है |
मंजूषा कला में बॉर्डर का उपयोग अनिवार्य है विभिन्न कला कृति और डिजाईन को अलग अलग प्रदर्शित करने में भी बॉर्डर का प्रयोग होता है | एक साथ दो या उससे अधिक बॉर्डर के उपयोग से अनेकों नये प्रयोगात्मक कलाकृति की रचना की जा सकती ये कलाकार की रचनात्मकता पर निर्भर करता है |