मंजूषा कला में तीन रंगों का प्रयोग होता है | इन रंगों के प्रयोग के अलग महत्व और पौराणिक मान्यता भी है | पुराने समय में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता था जो मुख्यतः पौधों, पत्तों, फूलों से प्राप्त होता था | मंजूषा कला के तीन प्रमुख रंग है गुलाबी, हरा, पीला कुछ कलाकार नीला और लाल रंग का भी प्रयोग करते है और कुल पाँच रंगों को इस कला की विशेषता में सम्मिलित करते है |
मंजूषा कला में रंगों का महत्व
- गुलाबी – ये रंग विजय, प्रगाढ़ संबंधो का प्रतीक, सेवा का प्रतीक है |
- हरा – ख़ुशी आनंद का प्रतीक है (प्रकृति, स्वास्थ्य, आर्थिक और वित्त समृधि सम्पदा को प्रदर्शित करता है)
- पीला – शांति, सदभाव, यश, सौभाग्य, विश्वास, उत्साह, आशावान का प्रतीक है | हरा रंग सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास को भी प्रदर्शित करता है |
मंजूषा कला के रंगों का प्रभाव
रंगों का मानव जीवन और मन पर गहरा प्रभाव होता है | मंजूषा कला के तीन रंगों का मनोविज्ञान और प्रभाव इस तरह है :-
- गुलाबी – ये उर्जा, पल्स, खून के संचार को बढ़ाता है | ये शांति, आराम, संतुष्टि देता है एवं कई तरह के मानसिक रोग में भी आराम देता है |
- हरा – ये रंग मानसिक और शारीरिक आराम को बढाता है, ये तनाव, चिंता और घबराहट को कम करता है |
- पीला – नर्वस सिस्टम को मजबूत करता है, यादाश्त और एकाग्रता को बढ़ाता है और संवाद को स्थापित करता है |
बैकग्राउंड – मंजूषा कला मुख्यतः सफ़ेद बैकग्राउंड पर किया जाता है |