मंजूषा कला अंग प्रदेश की लोककला है !
मंजूषा कला भारत की लोककलाओं में एक मात्र ऐसी लोककला है जिसमें कहानी को क्रमिक एवं श्रृंखलाबद्ध रूप से चित्रित किया गया है | इसे सूचीबद्ध कला भी कहते है | मंजूषा कला अंग प्रदेश वर्तमान भागलपुर, बिहार के आसपास के स्थानों की लोककला है |
मंजूषा कला की भूमिका :- यह कलाबिहुला –विषहरीकी लोकगाथा पर आधारित है |यहविषहरी पूजा के धार्मिक महत्व को प्रदर्शित करती है |
मंजूषा कला के रंग :- मंजूषा कला में मुख्यतः तीन रंग – गुलाबी/लाल, पीला , हरा रंग का प्रयोग किया जाता है |
मंजूषा कला का इतिहास – सिन्धु घाटी के सभ्यता के समय से इसके प्रमाण प्राप्त होते है |
बिहुला –विषहरी की गाथा :- मंजूषा कलाबिहुला –विषहरीकी लोकगाथा पर आधारित है |
किनारे का प्रयोग – मंजूषा कला में पाँच प्रकार के किनारे का प्रयोग होता है | ये है लहरिया, बेलपत्र, सर्प की लड़ी, मोखा एवं त्रिभुज
मंजूषा एवं मधुबनी कला में अंतर – बिहार के इन दोनों लोककला के रूपांकन, कहानी, आकृति एवं स्वरुप में भिन्नता है |
कलाकार एवं पुरस्कार :- मंजूषा कला के चर्चित कलाकार एवं विभिन्न पुरस्कारों की जानकारी |